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Powered by our expertise and competence, Shuddhi Nasha Mukti Kendra Chhattisgarh has become one of the reckoned Nasha Mukti Kendra in the country.Read More

ADDRESS- OPPOSITE GOMTI AGRO INDUSTRY,
NEAR NUPUR GYM,
SHANKAR NAGAR,
RAIPUR, 492007

Treating a drug addict is a difficult task right from the beginning. Most of the time, the addicts are not interested to go through a rehabilitation program because of the stigma attached to it. An addict is worried about their reputation in society if people come to know that they were in a rehabilitation center.  Shuddhi Nasha Mukti Kendra Indore is running under Sigma Samajik Kendra Society. One of the best deaddiction centers in Indore. No. 1 Addiction treatment center in inodre, Addiction treatment care in Indore



India is grappling with the increasing menace of drug abuse in children, adolescents, and adults. Drug abuse is a major concern for so many families in India because of the way it has systematically destroyed the lives of the addicts as well as those of their families. Drug abuse often results in psychological, physical, intellectual, and moral decay. The best treatment to quit drugs and alcohol you will only get here in our deaddiction center in Indore. Our Rehabilitation center in Indore is one of the best rehabs in all over MP. Nasha Mukti Kendra Indore Contact Number 09981665001. Powered by our expertise and competence, “Shuddhi Nasha Mukti Kendra indore” has become one of the reckoned nasha mukti centres in the country. शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र इंदौर

The best treatment to quit drug and alcohol you will only get here in our Nasha Mukti Kendra Indore. Our Rehabilitation center is one of the best rehab in all over MP. A lot of people get benefited by Shuddhi deaddiction center in Indore and we are very happy to share with you the news that the idea to make the society addiction free was successful by your faith you have on us. De-addiction center Indore and Nasha Mukti Kendra in Indore was a great boom in Indore. After a deaddiction center in Indore, we are moving all over India. Top Nasha Mukti Kendra Indore, with the best facility, Best Nasha Mukti center in Indore. Nasha Mukti Kendra Indore provides the best treatment. Shuddhi Nasha Mukti Kendra Indore provides the facility of Gym and open space. Drug Rehabilitation is a process of treatment for dependency on drugs.



शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र इंदौर पिछले 5 सालों से इंदौर के नशे पीड़ितों के लिए पूरी निष्ठा से कार्य कर रहा है जिस कारण इंदौर में नशा मुक्ति के कार्य में बहुत सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए है। यह आकार में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का दूसरा सबसे बड़ा नशा मुक्ति केंद्र है और परिणाम में प्रथम हैं। यहाँ मानिचिकित्सक, चिकित्सक, मनोविज्ञानी, परामर्शदाता, सुरक्षाकर्मी और नर्सिंग स्टाफ की भोपाल की सबसे बड़ी और कुशल टीम है। यहाँ एक आधुनिक जिम की सुविधा भी उपलब्ध है।

समस्या

Welcome to Shuddi Nasha Mukti Kendra  Indore (शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र इंदौर). शराबी या नशैलची (addict) शब्द सुनते ही एक ऐसे आदमी का चेहरा सामने आता है जो सबसे लड़ता रहता है, बिना बात गालियां बकता रहता है, घर का समान बेच रहा होता है, उसका व्यापार बंद हो चुका होता है या नौकरी जा चुकी होती है, उसके बीबी, बच्चे और वो खुद दयनीय स्थिति में होता है। क्या हमे लगता है कि कोई व्यक्ति ऐसी ज़िन्दगी चाहता होगा ? इसका जवाब हम सभी न में ही देंगे।

फिर ऐसा क्यों होता है वो आदमी अपना काम, सम्मान,संबंध और बहुत बार अपना जीवन भी दाव पर लगा होने के बाद भी अपना नशा बंद क्यों नहीं करता है और बहुत से मामलों में तो डॉक्टर ने बोला भी होता है कि यदि और पीयोगे तो मर जाओगे और वो व्यक्ति शराब (alcohol) रोकने की जगह पीकर मर जाता है। 

भारत में लगभग हर वर्ष लगभग 5 लाख लोग शराब के कारण मर जाते है, जबकि उनमें से अधिकतर को डॉक्टरों द्वारा पहले ही बताया चुका होता है कि और पियोगे तो मर जाओगे, ऐसा क्यों है ? इसका जवाब हम लोगों के पास नहीं है क्योंकि अधिकतर लोगों की सोच होती है कि एक शराबी या एडिक्ट(addict) नशामुक्ति चाहता ही नहीं है और दूसरों को परेशान करने के लिए जानबूझकर पीता है या वो मरने के लिए उतावला है, लेकिन ऐसा नहीं है।

इस प्रश्न का जवाब सर्वप्रथम एल्कोहलिक एनोनिमस (Alcoholic Anonymous) नामक संस्था ने 1935 में दिया जिसने कहा कि एडिक्शन (Addiction) एक बीमारी है इसने बताया कि 100 नशा करने वालों में से लगभग 8 से 10 प्रतिशत लोग ऐसे होते है कि वे जब किसी मूड या माइंड बदलने(अल्टर) करने वाले पदार्थ जैसे शराब, गांजा, अफीम या स्मैक के संपर्क में आते है या कहे की उसको उपयोग करना शुरू करते है तो उनके शरीर में एक एलर्जी होती है एलर्जी मतलब एक असामान्य प्रतिक्रिया, जो सामान्यतः सभी को नहीं होती है जिसके कारण उनका शरीर और-और (more & more) नशा मांगने लगता है ,वो चाह कर भी अपने आप को ज्यादा नशा करने से रोक नहीं पाते हैं और ना पूरी तरह से छोड़ पाते है और  उनका नशा लगातार बढ़ता जाता है ।

नशे पर नियंत्रण में कमी और उसका लगातार बढ़ते जाना ही इस बीमारी का मुख्य लक्षण है,नहीं तो कौन आदमी ये सोच के घर से निकलता है कि “इतनी पियूंगा की आज में नाली में गिरूंगा” या “कुछ ऐसा करूंगा की थाने में बंद हो जाऊंगा या पब्लिक मुझ को मारेगी”। कोई नहीं चाहता कि उसका परिवार बिखर जाए, नौकरी, व्यापार और जान चली जाए।

किसी व्यक्ति का जो इस बीमारी से पीडित है नशे पर नियंत्रण ना कर पाना उसका चुनाव नहीं बल्कि उसकी मजबूरी होता है क्योंकि ये एक बढ़ती हुई बीमारी है जो कि धीरे-धीरे बढ़ती है और व्यक्ति का नशा भी धीरे-धीरे बढ़ता जाता है, (उन व्यक्तियों का नशा नहीं बढ़ता है जिनको ये बीमारी नहीं होती है) एक समय ऐसा आता है कि व्यक्ति 24 घंटे नशे में रहने लगता है। 

लगातार अधिक मात्रा में नशा लेने के कारण नशे पर उसकी शारीरिक और मानसिक निर्भरता बढ़ जाती है और वो चाह कर भी अपने नशे को नहीं रोक सकता है, अचानक नशा रोकने पर कुछ अत्यधिक निर्भरता वाले मामलों में नशा रोकने से मृत्यु भी हो जाती है।

इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का इससे निकल ना पाने का कारण उस पीड़ित व्यक्ति में अपनी समस्या को लेकर अस्वीकार (denial) करना होता है क्योंकि उसने अपने मस्तिष्क में शराबी या नशैलची (alcoholic/addict) की एक पिक्चर बनाई होती है जिसमें वो शुरुआत में अपने को फिट नहीं कर पाता है वो हमेशा अपने से ज्यादा नशा करने वालों से अपने नशे कि तुलना कर के अपनी समस्या को छोटा कर के देखता रहता है, जब तक वो उस स्तर तक ना पहुंच जाए वो मानता ही नहीं है कि उसको नशे से समस्या है। शुरू में वो बोलता है कि में फलाने के जैसे रोज तो नही पीता, फिर जब वो रोज पीने लगता है तो वो किसी अन्य को दिखाकर कहता है कि मैं ढिकाने की तरह सुबह से तो नहीं पीता, और जब वो खुद सबेरे से पीने लगता है तो फिर किसी और उससे ज्यादा वाले से तुलना करने लगता है जैसे कि मैं शराब की दुकान के बाहर पड़ा तो नही रहता। कुल मिलाकर वो किसी अपने से ज्यादा वाले से तुलना कर के अपनी समस्या को नकारता रहता है। 

हालाँकि एक दिन आता है जब वो अपनी समस्या को स्वीकारने लगता है पर तब तक बहुत देर हो जाती है और वो इतना गहरा फंस चुका होता है कि उसके खुद बिना मदद के बाहर आने की सम्भावना बहुत कम हो जाती है।

जब व्यक्ति मानने लगता है कि उसको नशों से समस्या है और वो सामान्य तरीके नशा नहीं कर पाता है तो वह छोड़ना तो चाहता है, किन्तु नशों पर उसकी शारीरिक और मानसिक निर्भरता के कारण उसका शरीर और दिमाग नशा मांगता है ,यह सब कुछ जानते हुए कि और पीना ठीक नहीं है और “मैं जब पीता हूँ तो खुद को ज्यादा पीने से रोक नहीं सकता हूं”, उसके दिमाग में नशे कि ओर ले जाने वाला एक विचार होता है जिसको मानसिक खिंचाव (mental obsession) कहते है। 

वो यह होता है कि “आज थोड़ा सा लिमिट में कर लेता हूं और कल से बंद कर दूंगा” ये विचार रोज आता है कि “कल से बंद, आज थोड़ी सी पी लेता हूं,एकदम से छोड़ना ठीक नहीं है” अधिकतर देखा गया है कि पीने जाते समय उसके पास एक ईमानदार विचार होता है कि “आज लिमिट में पियूंगा” किन्तु उसकी बीमारी का जो लक्षण है कि, वो जैसे ही थोड़ा सा नशा करता है फिजिकल एलर्जी के कारण उसका शरीर और-और ( more more ) मांगने लगता है जिस कारण वो स्वयं को ज्यादा पीने से रोक नहीं पाता है। मानसिक खींचाव (mental obsession) के कारण उसका कल कभी नहीं आ पाता है।

लम्बे समय तक नशे करने के बाद व्यक्ति के अंदर अपनी गलतियों के कारण अपराधबोध (guilt ), भय और खुन्नस (resentment) आ जाते है, जिसके कारण वो स्वयं को अकेला (isolate) कर लेता है। वह लोगों और परिस्थितियों का सामना बिना नशे के नहीं कर पाता है। इनके समाधान की भी आवश्यकता होती है क्योंकि नशा बंद करने के बाद ये बातें उसे फिर से नशे की ओर ले जाती हैं।

अमेरिकन मेडिकल एोसिएशन (American Medical Association) ने 1956 में एडिक्शन को बीमारी घोषित किया इसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी 1964 में एडिक्शन को बीमारी घोषित किया है तथा भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग भी बीमारियों की सूची में एडिक्शन को F 9 से F 20 तक डाला हुआ है, पर हमारे समाज में इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की छवि एक खलनायक की होती है।

उसके साथ लोगों की वो सहानुभूति उसके साथ नहीं होती है जो की किसी अन्य बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के साथ होती है। हमारे समाज द्वारा इस बीमारी से निपटने का पहला उपचार जूता होता है, अर्थात सबसे पहले उसको पीटा जाता है और जब इससे भी बात नहीं बनती तो कसम, महामृत्युंजय जाप, कालसर्प योग यज्ञ, बाबा, भभूत आदि का दौर चलता है और सबसे आखिर में रामबाण “शादी कर दो ठीक हो जाएगा”।

क्या हम किसी और बीमारी में ये तरीके उपचार के लिए आजमाते है ? नहीं। तो फिर एडिक्शन को हम कैसे इन तरीकों से ठीक कर सकते है? एक शराबी या नशैलची(addict) से उम्मीद की जाती है कि वो इच्छा शक्ति से ठीक हो जाए क्या हम कोई और बीमारी जैसे जुकाम,दस्त या बुखार को इच्छा 

शक्ति से ठीक कर सकते है ? यदि नहीं तो हम एडिक्शन जैसी जानलेवा बीमारी से पीड़ित व्यक्ति से कैसे उम्मीद कर सकते है कि वो इच्छा शक्ति से अपना उपचार कर खुद ठीक हो जाए ? इस समस्या से निपटने के लिए आज सबसे ज्यादा जरूरत समाज को इन पीड़ित व्यक्तियों और इस समस्या के प्रति अपना नजरिया बदलने की है। आइए हम पहले इस समस्या के बारे में जाने और फिर इसका समाधान करें।

समाधान

दुर्भाग्यवश अभी तक चिकित्सा विज्ञान के पास कोई ऐसी दवाई नहीं है कि व्यक्ति को खिला दो और वो वह नशा करना बंद कर दे या नियंत्रिण मात्रा में करने लगे। किन्तु अमेरिका से आए 12 स्टेप प्रोग्राम ( एल्कोहलिक एनोनिमस और नारकोटिक्स एनोनिमस ) (Alcoholic Anonymous and Narcotics Anonymous) नशा मुक्ति (Deaddiction) के लिए अभी तक सबसे प्रभावी रहे है।

ये प्रोग्राम कहता है कि नशा मुक्ति  के लिए आवश्यक है कि सबसे पहले व्यक्ति स्वीकार करे की उसको नशे से समस्या है और उसकी भी नियति वही हो सकती है जो अन्य नशा पीड़ितों की होती है जैसे अकाल मृत्यु, पागलपन या जेल। इसके बाद व्यक्ति को सबसे ज्यादा आवश्यकता मानसिक बदलाव या कहें कि विचारों में परिवर्तन की होती है क्योंकि उसके विकृत विचार ही उसको दुबारा नशे की ओर ले जाते है। इसके लिए हमारे यहां विशेषज्ञ काउंसलर, साइकोलोजिस्ट एवं साईंकोथेरेपिस्ट होते है।

हमारे केंद्र नशा पीड़ित व्यक्तियों को बुरा व्यक्ति ना मान कर उन्हें बीमार व्यक्ति माना जाता है और उनके साथ प्रेम और सहानुभूति पूर्ण व्यवहार किया जाता है। इस 12 स्टेप प्रोग्राम ( अल्कोहोलिक्स एनोनिमस और नारकोटिक्स एनोनिमस ) की सहायता से तथा इस प्रोग्राम में कुछ साइको थेरेपीज (psycho therapies) होती है जिनसे तथा इसके विस्तृत साहित्य को आधार रख कर कक्षाएं होती है जिनके माध्यम से उनके विचारों में परिवर्तन करने में मदद की जाती है।

जिससे वे अपनी बीमारी के प्रति एक नई और व्यावहारिक समझ विकसित कर पाते है और नशे में किए गए गलत कार्यों के कारण जो उनके अंदर अपराध बोध और भय आ जाता है, उससे मुक्त होते है। इस कार्यक्रम की (12 Step Program) कुछ मनोवैज्ञानिक तकनीक और काउंसलिंग द्वारा उनके अंदर अपने परिवार, मित्रों और समाज के प्रति जो खुन्नस उनके अंदर आ जाती है उसे भी समाप्त करने में मदद की जाती है। लगातार अत्यधिक मात्रा में नशा करने के कारण उसका व्यवहार असंयमित हो जाता है जिससे वो बहुत सी गलतियां और नुकसान कर चुका होता है जिनका उसको दुःख होता है और ये अपराधबोध उसको फिर नशे की ओर ले जाता है इन अपराधबोध का निवारण भी आवश्यक होता है जो इस कार्यक्रम की मदद से करवाया जाता है।

लगातार नशे करने के कारण व्यक्ति के विचार अस्थिर तथा संकल्प शक्ति कमजोर हो जाती है। इस समस्या को दूर करने लिए हमारे केंद्र में आयुर्वेदिक चिकित्सक के द्वारा शिरोधारा करवाई जाती है। ये एक बहुत पुरानी तकनीक है विचारों में स्थिरता लाने के लिए।

लंबे समय तक नशा करने के कारण बहुत से लोगों को मानसिक परेशानियां जैसे इंसोमेनिया, एंजाइटी, डिप्रेशन, फोबिया या अन्य हो जाती है उनके निदान के लिए मनोचिकित्सक (साइकिएट्रिस्ट) की आवश्यकता होती है जिनकी सुविधा हमारे केंद्र (deaddiction centre) में उपलब्ध है।

विथड्रावल एवं हेलुसिनेशन प्रबंधन( WITHDRAWAL & HALLUCINATION MANAGEMENT)

अचानक नशा बंद करने के कारण जो शारीरिक तथा मानसिक परेशानियां ( withdrawal and hallucination) होती है कई बार तो यदि ठीक से इसका प्रबंधन किया जाए तो अत्यधिक मात्रा में नशा करने वाले ( heavy user) की अचानक नशा बंद करने से मृत्यु भी हो सकती है। इस समस्या के समाधान के लिए हमारे केंद्र में नशा मुक्ति  के विशेषज्ञ साइकिएट्रिस्ट, एमबीबीएस डॉक्टर तथा नर्स की सुविधा उपलब्ध है जिनके द्वारा विथड्रावल मैनेजमेंट (Withdrawal Management) किया जाता है जिससे एकदम से नशा बंद करने के बाद भी उन्हें किसी तरह का कष्ट नहीं होता है।

विषहरण ( DETOXIFICATION)

लंबे समय तक नशा करने के कारण शरीर विषाक्त(intoxicated) हो जाता है, विष को शरीर से निकालने के लिए शरीर का विषहरण ( detoxificarion ) दवाइयों के द्वारा चिकित्सक की देख-रेख में किया जाता है।

अन्य गतिविधियां

व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए नियमित योग, प्राणायाम, ध्यान और जिम करवाया जाता है। इसके द्वारा उसके मस्तिष्क के असक्रिय सेल ( inactive cells) को सक्रिय करवाया जाता है। इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार इनडोर खेलों (indoor games) के माध्यम से उसको नशे के अलावा अन्य मनोरंजन के साथ जीना सिखाया जाता है।

आधुनिक जिम

हमारे केंद्र में अत्याधुनिक जिम की सुविधा उपलब्ध है जिसमे जिम के सभी आधुनिक उपकरण उपलब्ध है।

खुला क्षेत्र ( OPEN AREA )

शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र मध्य प्रदेश के उन चुनिंदा नशा मुक्ति केंद्रों में से एक है जहाँ नशा पीड़ितों को खुला परिवेश उपलब्ध करवाया गया है जहाँ वे धूप लेते है तथा बैडमिंटन एवं चेयर रेस आदि खेल खेले जाते है। Nasha Mukti Kendra Indore

भोजन व्यवस्था

हमारे केंद्र में पीड़ित व्यक्ति को शुद्ध शाकाहारी, पौष्टिक और सात्विक आहार तथा रात को सोने से पहले दूध दिया जाता है। यहाँ पीड़ितों से भोजन नही बनवाया जाता है, जिसके लिए अलग से कर्मचारी नियुक्त किये गए है। स्वच्छ पानी के लिए आर ओ प्लांट केंद्र में लगा हुआ है।

नशा पीड़ित को घर से लेने की सुविधा

कुछ व्यक्ति नशे के ऊपर अत्यधिक शारीरिक और मानसिक निर्भरता हो जाने के कारण सोचने समझने और स्वयं को रोक पाने में असमर्थ होते है, ऐसे लोगों को केंद्र में लाने के लिए वाहन सुविधा उपलब्ध है।

सुरक्षा व्यवस्था

केंद्र में पूरे समय बड़ी संख्या में वोलेंटियर मौजूद होती है।

अन्य सुविधाएं-

केंद्र में वाटर कूलर, वाशिंग मशीन, गीज़र, अग्निशमन यंत्र, ऑक्सीज़न सिलेंडर तथा अन्य आवश्यक चिकित्सकीय उपकरण उपलब्ध है।

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