9981665001

EK SHARABI K GHAR MAIN BACCHO KI DURDASA

एक शराबी या नशेड़ी एक ऐसा व्यक्ति होता है जोकि शारीरिक और मानसिक रूप से नशे पर निर्भर हो चुका है, नशा उसकी जरूरत बन चुका है, वह अधिक मात्रा में नशा करता है जिस कारण उसका मन और मस्तिष्क उसके काबू में नहीं रहता है और वह पागलों की तरह व्यवहार करने लगता है। वह नशे के लिए लोगों से पैसा उधार मांगता है, घर में पैसे के लिए लड़ाई झगड़ा करता है, घर का सामान बेचता है, बाहर भी चोरियां करता है उसको किसी भी कीमत पर नशा चाहिए होता है ऐसे व्यक्ति के बच्चे बहुत बुरा जीवन व्यतीत करते हैं उनके घरों में हमेशा ही लड़ाई झगड़ा होता रहता है जिसका उनके मस्तिष्क पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है अपने पिता के व्यवहार के कारण वह शर्मिंदगी महसूस करते हैं और दूसरे बच्चों द्वारा उनके पिता का मजाक उड़ाया जाता है जिस कारण वे बच्चे समाज में अच्छी तरीके से घुल मिल नहीं पाते हैं ना वे दोस्त बना पाते हैं और ना ही सामाजिक गतिविधियों में सम्मिलित होते हैं। समाज से कटने के कारण और वास्तविकता से मुंह चुराने के कारण ऐसे बच्चों मे नशे की ओर जाने की संभावना अधिक होती है। एक शराबी या नशेड़ी के बच्चों का स्वभाव अन्य बच्चों की तुलना में अधिक हिंसक होता है क्योंकि वे घर में लगातार हिंसा होते देखते हैं ये बच्चे भावनात्मक रूप से अधिक कमजोर होते हैं। शराबी एवं नशेड़ी के परिवार में पति पत्नी में लगातार लड़ाई झगड़े होते रहते हैं उसका जो प्रभाव पड़ता है उस कारण उन बच्चों का भी वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं होता वह भी भावनात्मक संबंध बनाने में अयोग्य होते हैं। स्ट्रीट चाइल्ड पर किए गए सर्वे के अनुसार इनमें वे बच्चे ज्यादा थे जिनके पिता नशे में पत्नी और बच्चों से हिंसा करते थे जिस कारण वे डर के कारण घर से भाग गए ऐसे 85 परसेंट बच्चे नशा पीड़ित पाए गए और अधिकतर भविष्य में अपराधिक प्रवृत्ति के बने। नशा पीड़ितों के परिवारों के अनुभव के आधार पर हम कह सकते हैं कि नशा पीड़ितों के बच्चों को भी काउंसलिंग की जरूरत होती है।राजीव तिवारी, काउंसलर, शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र, भोपाल।