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गांजे की पहचान, गांजे के नुकसान और गांजा पीने वाले व्यक्ति की पहचान

आज हम गांजे के सेवन से होने वाले नुकसान और इसके लक्षणों के बारे में बात कर रहे हैं गांजे को वैज्ञानिक भाषा में कैनाबिस भी कहा जाता है आम बोलचाल की भाषा में इसको मारिजुआना, वीड और ग्रास भी कहते हैं, हमारे समाज में खासकर स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों के बीच गांजे का सेवन लगातार बढ़ता जा रहा है और आज यह एक खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है उनके बीच कूल रहने के लिए गांजा पीना एक स्टेटस सिंबल होता जा रहा है। इसे सिगरेट, बीड़ी, चिलम, हुक्का, रोलिंग पेपर और बोंग मैं भरकर जलाकर पिया जाता है। नए आने वाले विद्यार्थियों को गांजा पीने के लिए प्रोत्साहित करते है प्रोत्साहित करने के लिए वो यह कहते हैं कि इसको पीने से पढ़ाई में कंसंट्रेशन अच्छा होता है जिस कारण पढ़ाई की लंबी सीटिंग हो जाती हैं शुरुआत में इस तरीके के कुछ फायदे होते भी हैं पर लॉन्ग टर्म में नुकसान सामने आते जाते हैं इसके कारण व्यक्ति की याददाश्त तेजी से कम होने लगती है।गांजे के बारे में यह जानना महत्वपूर्ण होगा कि यह हाईली एडिक्टिव है मतलब एक बार इसका सेवन करते हुए कुछ समय बीतने के बाद इसको छोड़ना बहुत मुश्किल होता है और व्यक्ति इसके ऊपर शारीरिक और मानसिक रूप से निर्भर हो जाता है फिर वह चाह कर भी इसको बंद नहीं कर पाता है। इसके साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि पूरे भारत में यह बहुत ही आसानी से उपलब्ध है और इसका मूल्य बहुत कम होता है पर इसके नुकसान बहुत ज्यादा है इसको पीने वाले लोग धीरे धीरे इनएक्टिव मतलब असक्रिय होते जाते हैं,उनके सोचने समझने की क्षमता कम हो जाती है उनकी बुद्धि का विकास रुक जाता है और वह मंदबुद्धि होते चले जाते हैं वे अधिकतर समय चिंता में ही रहते हैं वह कल्पनाओं में जीने लगते हैं उनकी सोच वास्तविकता से दूर होती जाती है। इसके पीने वालों में धीरे धीरे इसका उपयोग बढ़ता जाता है और एक समय ऐसा आता है कि सुबह से रात तक व्यक्ति इसका सेवन करने लगता है और पूरे समय कल्पना में डूबा रहता है उसके मस्तिष्क में एक सुन्नपन आता चला जाता है, वह अधिकतर धीमी प्रतिक्रिया करने लगता है वह धीरे-धीरे काम करने लगता है धीरे-धीरे बोलने लगता है वह अपने आसपास के लोगों से और माहौल से कट जाता है और उसको अकेले रहना अच्छा लगने लगता है। लंबे समय गांजा पीने वालों में एंजायटी, शिजोफ्रेनिया, डिप्रेशन और बाइपोलर डिसऑर्डर, इनसोमेनिया आदि मानसिक रोगों के लक्षण दिखने लगते हैं और लगातार धुँआ लेने के कारण उनको फेफड़ों की बीमारियां हो जाती हैं उसको खांसी और कफ हमेशा बना रहता है। गांजे के कारण पागल होने वाले लोगों की संख्या बहुत बड़ी है इसिलिए हमें अपने बच्चों पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है इसको पीने वाले की आंखें अधिकतर लाल रहने लगती हैं और उसके कपड़ों में से जले दुआ की अजीब सी बदबू आने लगती है, उसका नींद का पैटर्न बदल जाता है वह गलत टाइम पर सोने लगता है और गलत टाइम पर जागने लगता है कुछ मामलों में वह पूजा-पाठ अधिक करने लगता है। जब बच्चा नया नया गाँजा पीना शुरू करता है तो शुरू में उसकी भूख अप्राकृतिक रूप से बढ़ जाती है उसका खाने पीने का पैटर्न बदल जाता है उसको किसी भी समय भूख लगने लगती है और उसे मीठा खाने की इच्छा ज्यादा होती है। वह बार-बार बातों को भूलने लगता है कई बार बात करते समय को एक ही बात को कई बार दोहराता है। इसको ज्यादा पीने वाले का चेहरा धीरे-धीरे काला पड़ता जाता है उसके पैंट और शर्ट के जेब के कोनों में बारीक हरी पत्तियां मिलने लगती है। बच्चे के गांजा पीने का पता चलते ही नशा मुक्ति केंद्र में उसकी काउंसलिंग करवाए जाने की जरूरत होती है और कुछ मामलों में यदि अधिक समय हो गया है तो भर्ती करके उसका ट्रीटमेंट करवाने की आवश्यकता होती है।
राजीव तिवारी, एडिक्शन काउंसलर, शुद्धि नशा मुक्ति केंद्र भोपाल, रायपुर, इंदौर, बिलासपुर।